लसूिड़या पुलिस ने एक ऐसी वाहन चोर गैंग को पकड़ी है जो चोरी के पहले हर गाड़ी की डुप्लीकेट चाबी बनाती थी। हरदा के चोर पहले दोस्तों की महंगी बाइक मांग कर ले जाते, फिर सिकलीगर से उन्हीं की डुप्लीकेट चाबी बनाकर हफ्तेभर में चुरा लेते थे। चोरी के लिए इन्होंने गैंग में 4 सिकलीगरों को शामिल कर रखा था। चोरी करने वाले वाहन की जानकारी देकर सिकलीकरों से डुप्लीकेट चाबी बनवा लेेते थे तो कई बार सकलीगर को ही स्पॉट पर ले जाकर बाइक दिखा देते थे। वे मोबाइल पर स्पेशल कोड में बात करते थे।
लसूड़िया टीआई संतोष दूधी के अनुसार पकड़ाए बदमाश स्कीम नंबर 78 निवासी सूरज पिता इंद्रापाल जाटवा, हरदा के ग्राम बीड़ का किशन पिता सेवादास शर्मा, वहीं का सूरज पिता सोहनलाल शर्मा, स्कीम नंबर 114 का अमर सिंह पिता कैला पंचवारिया, कुख्यात सिकलीगर चन्दन सिंह पिता सुरजीत सिंह निवासी बाबूलाल नगर, उसका भाई कुंदन सिंह, छोटा भाई गोलू सिंह और निरंजपुर नई बस्ती का सिकलीगर राहुल पिता भगवान सिंह है। इन्हें पकड़ने के लिए एसआई अफसर अंसारी, आरक्षक राजकुमार चौबे, श्याम पटेल और सुरेंद्र यादव ने एक हफ्ते तक खासी मशक्कत की है। सबसे पहले सिकलीगर चन्दन सिंह को पकड़ा तो उसने कबूला हरदा का किशन शर्मा और सूरज शर्मा चाबी उससे चाबी बनवाते थे। वे अधिकांश गाड़ियां पार्किंग से चुराते और उन्हें ऐसे स्टार्ट करते थे जैसे खुद मालिक हो। फिल पुलिस ने किशन शर्मा को पकड़ा तो उसने पूरी गैंग के नाम कबूले। आरोपियों से 11 बाइक बरामद हुई है, जो बेचने के लिए एक मल्टी की पार्किंग में रखी थी। इन्होंने विजय नगर, लसुड़िया, एमजी रोड सहित अन्य क्षेत्र में महंगी बाइकें चुराई है।
शुरुआत दोस्तों की बाइक से की
आरोपियों ने पहले अपनी गैंग में 4 सिकलीगरों को शामिल किया। चोरी करने की शुरुआत अपने ही दोस्तों की बाइक से की। फिर अपने 3-4 दोस्तों की महंगी बाइक मांगकर ले गए। सिकलीगरों से उनकी डुप्लीकेट चाबी बनवाई। फिर दोस्तों को उनकी बाइक वापस दे दी। हफ्तेभर बाद उन्हीं दोस्तों की रैकी कर उनकी बाइकों को चाबी लगाकर चुरा ले गए। जब उनके हौंसले बढ़े तो दूसरी गाड़ियां भी चुराने लगे। फिर फोन पर जानकारी देकर सिकलीगरों से संबंधित बाइक की चाबी बनवा लेते तो कई बार सिकलीगरों को साथ लेजाकर ही बाइक दिखा देते थे। सिकलीगरों के पास चाबी बनाने की मशीनें भी मिली है। ये लोग आपस में कोड वड में बात करते थे, जैसे चोरी होने के बाद वे फतेह शब्द का इस्तेमाल करते थे।